दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम् (Daridraya Dahana Shiv Stotram)

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गुरु वशिष्ठ जी द्वारा रचित यह परम कल्याणकारी दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम बहुत प्रसिद्द है | आशुतोष भगवान भोलेनाथ पार्वती माता के प्राणनाथ शिव जी को समर्पित यह श्लोक जो भी नियम पूर्वक पाठ करता है, उसको यह फल प्राप्त होतें हैं –

क : गरीबी दूर होती है | जल्दी ही सभी प्रकार कि सम्पदा , सुख-समृद्धि होती है|
ख: सभी रोग नष्ट होते हैं|
ग : पुत्र , पौत्र (नाती ) हो जाते हैं|
घ: जो इसको दिन में तीन बार तीन संध्या ( सुबह, दोपहर , शाम ) को पाठ करता हैं , उसे स्वर्ग को प्राप्ति होती है|

बोलो उमापतये हर हर महादेव |

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रम्

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय ।
कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 1 ॥

गौरीप्रियाय रजनीश कलाधराय
कालांतकाय भुजगाधिप कंकणाय ।
गंगाधराय गजराज विमर्धनाय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 2 ॥

भक्तप्रियाय भवरोग भयापहाय
उग्राय दुःख भवसागर तारणाय ।
ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 3 ॥

चर्मांबराय शवभस्म विलेपनाय
फालेक्षणाय मणिकुंडल मंडिताय ।
मंजीरपादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 4 ॥

पंचाननाय फणिराज विभूषणाय
हेमांकुशाय भुवनत्रय मंडिताय
आनंद भूमि वरदाय तमोपयाय ।
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 5 ॥

भानुप्रियाय भवसागर तारणाय
कालांतकाय कमलासन पूजिताय ।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 6 ॥

रामप्रियाय रघुनाथ वरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णव तारणाय ।
पुण्याय पुण्यभरिताय सुरार्चिताय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 7 ॥

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीताप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय ।
मातंगचर्म वसनाय महेश्वराय
दारिद्र्यदुःख दहनाय नमश्शिवाय ॥ 8 ॥

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोग निवारणम् ।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादि वर्धनम् ।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्ग मवाप्नुयात् ॥ 9 ॥

॥ इति श्री वसिष्ठ विरचितं दारिद्र्यदहन शिवस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

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