ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Arati lyrics)

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ॐ जय जगदीश हरे आरती  भारत की सबसे प्रसिद्द आरतियों में से एक है |

जगदीश माने जगद के  ईस, दुनिया के भगवान, संसार के नियंत्रक | इसको जगन्नाथ जी या श्री कृष्ण जी की आरती भी कह सकते हैं|

अगर आप इस आरती को ध्यान से पढ़ेंगे तो इसमें हिन्दू दार्शानिक सिध्दांत और  भगवान के गुणों का वैदिक सिध्दांत दीखता हैं | इसमें भगवान को “अगोचर ” कहा गया हैं जिसका मतलब हैं वे जिन्हे हम अपनी आँखों से या किसी भी भौतिक इन्द्रियों से नहीं देख सकते हैं |

यह आरती इतना प्रसिद्द हैं  कि बहुत से घरों में इसे सुबह -शाम गाया जाता हैं |

जो भी यह आरती गता हैं , उसको सभी मनोवांछित फल प्राप्त हो जाते हैं,  ऐसा  इसी आरती में लिखा हैं  | 

  • हिंदी / संस्कृत
  • English

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥

रचयिता पं. श्रद्धाराम शर्मा या श्रद्धाराम फिल्लौरी
सन् १८७० में लिखी गई

Om Jay Jagdish Hare,
Swami Jay Jagdish Hare॥
Bhakt Jano Ke Sankat,
Daas Jano Ke Sankat,
Kshan Mein Door Kare॥
॥ Om Jay Jagdish Hare.. ॥

Jo Dhyaave Phal Paave,
Dukh Binse Man Ka,
Swami Dukh Binse Man Ka॥
Sukh Sampati Ghar Aave,
Sukh Sampati Ghar Aave,
Kasht Mite Tan Ka॥
॥ Om Jay Jagdish Hare.. ॥

Mata Pita Tum Mere,
Sharan Gahoon Kisaki,
Swami Sharan Gahoon Main Kisaki॥
Tum Bin Aur Na Dooja,
Tum Bin Aur Na Dooja,
Aas Karoon Main Jisaki॥
॥ Om Jay Jagdish Hare.. ॥

Tum Poorn Parmatma,
Tum Antarayaami,
Swami Tum Antarayaami॥
Paarbrahm Parmeshwar,
Paarbrahm Parmeshwar,
Tum Sab Ke Swami॥
॥ Om Jay Jagdish Hare.. ॥

Tum Karuna Ke Saagar,
Tum Palanakarta,
Swami Tum Palanakarta॥
Main Moorkh Phal Kaami,
Main Sevak Tum Swami,
Kripa Karo Bharta॥
॥ Om Jay Jagdish Hare.. ॥

Tum Ho Ek Agochar,
Sabke Pranpati,
Swami Sabke Pranpati॥
Kis Vidhi Miloon Dayaamay,
Kis Vidhi Miloon Dayaamay,
Tumko Main Kumati॥
॥ Om Jay Jagdish Hare.. ॥

Deen-Bandhu Dukh-Harta,
Thakur Tum Mere,
Swami Rakshak Tum Mere॥
Apne Haath Uthaao,
Apne Sharan Lagaao,
Dwaar Pada Tere॥
॥ Om Jay Jagdish Hare.. ॥

Vishay-Vikaar Mitaao,
Paap Haro Deva,
Swami Paap Haro Deva॥
Shraddha Bhakti Badhaao,
Shraddha Bhakti Badhaao,
Santan Ki Seva॥

Om Jay Jagdish Hare,
Swami Jay Jagdish Hare॥
Bhakt Jano Ke Sankat,
Daas Jano Ke Sankat,
Kshan Mein Door Kare॥

Rachayita: Pandit Shradhha Ram Sharma ya Shradhha Ram Phillaouri
Written in 1870॥

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