जगत जननी माँ भगवती श्री देवी जी की आरती अति विशेष है | विश्व की आदि शक्ति के रूप में उनका पूजन भारत में अनादि काल से हो रहा है | देवी भागवत पुराण में उनके अनेकों रूप, गुण एवं लीलाओं का वर्णन आता है | इसमें माँ भगवती देवी को ही समस्त अवतारों का स्त्रोत एवं परम शक्ति कहा गया है |
उन्हें ही मूलाधार चक्र में विराजमान शक्ति भी कहा गया है |
हम सभी उन्ही की संतान हैं क्यों कि वे आदि माँ है | हमारी सभी गलतयों की माफ़ करते हुए , हमें अपने शरण में रखने की प्राथना की गई हैं |
जय माँ भगवती देवी |
- हिंदी / संस्कृत
- English
जगजननी जय! जय!!
माँ! जगजननी जय! जय!!
भयहारिणि, भवतारिणि,
माँ भवभामिनि जय! जय ॥
जगजननी जय जय..॥
तू ही सत-चित-सुखमय,
शुद्ध ब्रह्मरूपा ।
सत्य सनातन सुन्दर,
पर-शिव सुर-भूपा ॥
जगजननी जय जय..॥
आदि अनादि अनामय,
अविचल अविनाशी ।
अमल अनन्त अगोचर,
अज आनँदराशी ॥
जगजननी जय जय..॥
अविकारी, अघहारी,
अकल, कलाधारी ।
कर्त्ता विधि, भर्त्ता हरि,
हर सँहारकारी ॥
जगजननी जय जय..॥
तू विधिवधू, रमा,
तू उमा, महामाया ।
मूल प्रकृति विद्या तू,
तू जननी, जाया ॥
जगजननी जय जय..॥
राम, कृष्ण तू, सीता,
व्रजरानी राधा ।
तू वांछाकल्पद्रुम,
हारिणि सब बाधा ॥
जगजननी जय जय..॥
दश विद्या, नव दुर्गा,
नानाशस्त्रकरा ।
अष्टमातृका, योगिनि,
नव नव रूप धरा ॥
जगजननी जय जय..॥
तू परधामनिवासिनि,
महाविलासिनि तू ।
तू ही श्मशानविहारिणि,
ताण्डवलासिनि तू ॥
जगजननी जय जय..॥
सुर-मुनि-मोहिनि सौम्या,
तू शोभाऽऽधारा ।
विवसन विकट-सरुपा,
प्रलयमयी धारा ॥
जगजननी जय जय..॥
तू ही स्नेह-सुधामयि,
तू अति गरलमना ।
रत्नविभूषित तू ही,
तू ही अस्थि-तना ॥
जगजननी जय जय..॥
मूलाधारनिवासिनि,
इह-पर-सिद्धिप्रदे ।
कालातीता काली,
कमला तू वरदे ॥
जगजननी जय जय..॥
शक्ति शक्तिधर तू ही,
नित्य अभेदमयी ।
भेदप्रदर्शिनि वाणी,
विमले! वेदत्रयी ॥
जगजननी जय जय..॥
हम अति दीन दुखी माँ!,
विपत-जाल घेरे ।
हैं कपूत अति कपटी,
पर बालक तेरे ॥
जगजननी जय जय..॥
निज स्वभाववश जननी!,
दयादृष्टि कीजै ।
करुणा कर करुणामयि!
चरण-शरण दीजै ॥
जगजननी जय जय..॥
जगजननी जय! जय!!
माँ! जगजननी जय! जय!!
भयहारिणि, भवतारिणि,
माँ भवभामिनि जय! जय ॥
जगजननी जय जय..॥
Jagjanani Jay! Jay!!
Maa! Jagjanani Jay! Jay!!
Bhayaharini, Bhavatarini,
Maa Bhavabhamini Jay! Jay॥
Jagjanani Jay Jay..
Tu hi sat-chit-sukhmay,
Shuddh Brahmarupa॥
Satya Sanatan Sundar,
Par-Shiva Sur-Bhupa॥
Jagjanani Jay Jay..
Aadi Anadi Anamay,
Avichal Avinashi॥
Amal Anant Agocchar,
Aj Anandarashi॥
Jagjanani Jay Jay..
Avikari, Aghahari,
Akal, Kaladhari॥
Karta Vidhi, Bharta Hari,
Har Sanharakari॥
Jagjanani Jay Jay..
Tu Vidhivdhu, Rama,
Tu Uma, Mahamaya॥
Mool Prakriti Vidya Tu,
Tu Janani, Jaaya॥
Jagjanani Jay Jay..
Ram, Krishna Tu, Sita,
Vrajarani Radha॥
Tu Vanchakalpadrum,
Harini Sab Badha॥
Jagjanani Jay Jay..
Dash Vidya, Nav Durga,
Nanashastrakara॥
Ashtamatrika, Yogini,
Nav Nav Rup Dhara॥
Jagjanani Jay Jay..
Tu Paradhamnivasini,
Mahavilasini Tu॥
Tu hi Shmashanviharini,
Tandavalasini Tu॥
Jagjanani Jay Jay..
Sur-Muni-Mohini Saumya,
Tu Shobhaadhaara॥
Vivasan Vikat-Sarupa,
Pralayamayi Dhara॥
Jagjanani Jay Jay..
Tu hi Sneha-Sudhamayi,
Tu Ati Garalmana॥
Ratnavibhushit Tu hi,
Tu hi Asthi-Tana॥
Jagjanani Jay Jay..
Mooladhar Nivasini,
Ih-Par Siddhiprade॥
Kalatita Kali,
Kamala Tu Varde॥
Jagjanani Jay Jay..
Shakti Shaktidhar Tu hi,
Nitya Abhedmayi॥
Bhedpradarshini Vaani,
Vimale! Vedatrayi॥
Jagjanani Jay Jay..
Hum Ati Deen Dukhi Maa!,
Vipat-Jaal Ghere॥
Hain Kapoot Ati Kapati,
Par Balak Tere॥
Jagjanani Jay Jay..
Nij Swabhavvash Janani!,
Dayadrushti Keeje॥
Karuna Kar Karunamayi!
Charan-Sharan Dijai॥
Jagjanani Jay Jay..
Jagjanani Jay! Jay!!
Maa! Jagjanani Jay! Jay!!
Bhayaharini, Bhavatarini,
Maa Bhavabhamini Jay! Jay॥
Jagjanani Jay Jay..