माँ काली की चालीसा अति मनोहर अवं शांति से भरा हुआ है | दक्षिणेश्वर में स्तिथ प्रसिद्ध मंदिर की दक्षिणेश्वरी काली माता, कालीघाट की काली कलकत्ते वाली , तारासुन्दरी , चण्डिका , हिंगलाज माता, विन्ध्याचल वासिनी इत्यादि नामो से सुप्रसिद्ध जगत जननी माँ काली की महिमा अपरम्पार है |
इस चालीसा में बड़े ही सुन्दर ढंग से माता के नाम, रूप,शक्ति और कृपा के उल्लेख किया गया है | जो भी माता के भक्त है वह जानते है की माँ अपने भक्तों का बच्चों की तरह ख्याल रखती हैं| बड़ी ही दयालु, कृपामयी , वात्सल्यमयी काली माता के अनेक रूप हैं | नौ दुर्गे माता भवानी कहें या महाशक्ति या हिमालपुत्री माँ गौरी , पार्वती , सब वही हैं |
जय माँ काली |
- हिंदी / संस्कृत
- English
काली चालीसा – जय काली कंकाल मालिनी!
॥ दोहा ॥
जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥
जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द,
काली चालीसा रचत एक सिद्धि कवि हिन्द ॥
प्रातः काल उठ जो पढ़े दुपहरिया या शाम,
दुःख दरिद्रता दूर हों सिद्धि होय सब काम ॥
॥ चौपाई ॥
जय काली कंकाल मालिनी,
जय मंगला महाकपालिनी ॥
रक्तबीज वधकारिणी माता,
सदा भक्तन की सुखदाता ॥
शिरो मालिका भूषित अंगे,
जय काली जय मद्य मतंगे ॥
हर हृदयारविन्द सुविलासिनी,
जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी ॥ ४ ॥
ह्रीं काली श्रीं महाकाराली,
क्रीं कल्याणी दक्षिणाकाली ॥
जय कलावती जय विद्यावति,
जय तारासुन्दरी महामति ॥
देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,
होहु भक्त के आगे परगट ॥
जय ॐ कारे जय हुंकारे,
महाशक्ति जय अपरम्पारे ॥ ८ ॥
कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,
सदा भक्तजन की भयनाशिनी ॥
अब जगदम्ब न देर लगावहु,
दुख दरिद्रता मोर हटावहु ॥
जयति कराल कालिका माता,
कालानल समान घुतिगाता ॥
जयशंकरी सुरेशि सनातनि,
कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनी ॥ १२ ॥
कपर्दिनी कलि कल्प विमोचनि,
जय विकसित नव नलिन विलोचनी ॥
आनन्दा करणी आनन्द निधाना,
देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना ॥
करूणामृत सागरा कृपामयी,
होहु दुष्ट जन पर अब निर्दयी ॥
सकल जीव तोहि परम पियारा,
सकल विश्व तोरे आधारा ॥ १६ ॥
प्रलय काल में नर्तन कारिणि,
जग जननी सब जग की पालिनी ॥
महोदरी माहेश्वरी माया,
हिमगिरि सुता विश्व की छाया ॥
स्वछन्द रद मारद धुनि माही,
गर्जत तुम्ही और कोउ नाहि ॥
स्फुरति मणिगणाकार प्रताने,
तारागण तू व्योम विताने ॥ २० ॥
श्रीधारे सन्तन हितकारिणी,
अग्निपाणि अति दुष्ट विदारिणि ॥
धूम्र विलोचनि प्राण विमोचिनी,
शुम्भ निशुम्भ मथनि वर लोचनि ॥
सहस भुजी सरोरूह मालिनी,
चामुण्डे मरघट की वासिनी ॥
खप्पर मध्य सुशोणित साजी,
मारेहु माँ महिषासुर पाजी ॥ २४ ॥
अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका,
सब एके तुम आदि कालिका ॥
अजा एकरूपा बहुरूपा,
अकथ चरित्रा शक्ति अनूपा ॥
कलकत्ता के दक्षिण द्वारे,
मूरति तोरि महेशि अपारे ॥
कादम्बरी पानरत श्यामा,
जय माँतगी काम के धामा ॥ २८ ॥
कमलासन वासिनी कमलायनि,
जय श्यामा जय जय श्यामायनि ॥
मातंगी जय जयति प्रकृति हे,
जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे ॥
कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा,
जयति अहिंसा धर्म जन्मदा ॥
जलथल नभ मण्डल में व्यापिनी,
सौदामिनी मध्य आलापिनि ॥ ३२ ॥
झननन तच्छु मरिरिन नादिनी,
जय सरस्वती वीणा वादिनी ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे,
कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा ॥
जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,
कामाख्या और काली माता ॥
हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनी,
अटठहासिनि अरु अघन नाशिनी ॥ ३६ ॥
कितनी स्तुति करूँ अखण्डे,
तू ब्रह्माण्डे शक्तिजित चण्डे ॥
करहु कृपा सब पे जगदम्बा,
रहहिं निशंक तोर अवलम्बा ॥
चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,
रूप तुम्हार महा अभिरामा ॥
खड्ग और खप्पर कर सोहत,
सुर नर मुनि सबको मन मोहत ॥ ४० ॥
तुम्हारी कृपा पावे जो कोई,
रोग शोक नहिं ताकहँ होई ॥
जो यह पाठ करै चालीसा,
तापर कृपा करहिं गौरीशा ॥
॥ दोहा ॥
जय कपालिनी जय शिवा,
जय जय जय जगदम्ब,
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु,
मातु अविलम्ब ॥
Kalki Chalisa- Maa Maha Kali Jai Kali Kankal Malini (in English)
॥ doha ॥
jay jay sitaaraam ke madhyavaasinee amb,
dehu daras jagadamb ab karahu na maatu vilamb ॥
jay taara jay kaalika jay dash vidya vrnd,
kaalee chaaleesa rachat ek siddhi kavi hind ॥
praatah kaal uthen jo dopahariya ya shaam padhen,
duhkh daridrata door hoy siddhi hoy sab kaam ॥
॥ chaupaee ॥
jay kaalee kankaal maalinee,
jay mangala mahaakapaalinee ॥
raktabeej vadhakaarinee maata,
sada bhakton ke sukhadaata ॥
shiro maalika bhooshit ange,
jay kaalee jay maday maatange ॥
harataaravind suvilaasinee,
jay jagadamba sakal duhkh naashinee ॥ 4 ॥
hreen kaalee shreen mahaakaalee,
kreen kalyaanee dakshinakaalee ॥
jay kalaavatee jay vidyaavatee,
jay taaraasundaree mahaamati ॥
dehu subuddhi harahu sab sankat,
hohu bhakt ke aage pragat ॥
jay om kaare jay hunkaare,
mahaashakti jay aparampaare ॥ 8 ॥
kamala kaliyug darp vinaashinee,
sada bhaktajan kee bhayanaashini ॥
ab jagadamb na der kavitaahu,
duhkh daridrata more hataavahu ॥
jayati karaal kaalika maata,
kaalaanal samaan ghutigaata ॥
jayashankaree sureshi sanaatanee,
koti siddhi kavi maatu puraatanee ॥ 12 ॥
kapardinee kali kalp mukti,
jay vikasit nav nalin vilochanee ॥
aanand lena aanand karana,
dehumaatu mohi nirmal gyaana ॥
karunaamrt saagar krpaamayee,
hohu dusht jan par ab nirdayee ॥
sakal jeev tohi param piyaara,
sakal vishv tore raama ॥ 16 ॥
pralay kaal mein nartan karini,
jag janani sab jag kee paalinee ॥
mahodaree maaheshvaree maaya,
himagiri suta vishv kee chhaaya ॥
svachhand rad marad dhuni maahee,
garazat tumheen aur kooo nahin ॥
sphoorti maniganaakaar praaptane,
taaraagan tu vyom vitaane ॥ 20 ॥
shreedhaare santan hitakaarinee,
agnipaani ati dusht vidaareeni ॥
dhoomr vilochani praan vimocheenee,
shumbh nishumbh mathani var lochani ॥
sahas bhujee sarorooh maalinee,
chaamunde maraghat kee vaasinee ॥
khappar madhy sushonit saajee,
maarehu maan mahishaasur paajee ॥ 24 ॥
amb ambika chand chandika,
sab eke tum aadi kaalika ॥
aja ekaroopa bahuroopa,
akath charitra shaktianopa ॥
kolakaata ke dakshin dvaare,
moorati to maheshari apaare ॥
kaadambaree paanarat shyaama,
jay maantagee kaam ke dhaama ॥ 28 ॥
kamalaasan vaasinee kamalaayanee,
jay shyaama jay jay shyaamaayani ॥
maatangee jay jayati prakrti he,
jayati bhakti ur kumati sumati he ॥
koti brahm shiv vishnu kaamada,
jayati ahinsa dharm janmada ॥
jalathal naabh mandal mein vyaapinee,
delamini madhy alaapini ॥ 32 ॥
jhannann tachchu maririn naadinee,
jay sarasvatee veena vaadinee ॥
om ain hreen kleen chaamundaayai vichche,
kalit kanth shobhit narunada ॥
jay brahmaand siddhi kavi maata,
kaamaakhya aur kaalee maata ॥
hingalaaj vindhyaachal vaasinee,
atthahaasinee aru aghan naashinee ॥ 36 ॥
kitanee stuti karoon akhande,
too brahmaande shaktijit chande ॥
karahu krpa sab pe jagadamba,
rahahin nishank tor avalamba ॥
chaturbhujee kaalee tum shyaama,
roop tuhaar maha abhiraama ॥
khadg aur khappar kar sohat,
soor nar muni bos man mohat ॥ 40 ॥
doosara krpaya paave jo koee,
rog shok nahin taakhan hoi ॥
jo yah paath kare chaaleesa,
taapar krpa karahin gaureesha ॥
॥ doha ॥
jay kapaalinee jay shiva,
jay jay jay jagadamb,
sada bhaktajan keree duhkh harahu,
maatu avilaam ॥
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