हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa in Hindi-Avadhi-English)

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हनुमान चालीसा, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक अद्भुत अलौकिक कृति है |  हनुमान जी वैसे भी बहुत कृपालु हैं | वे सदा सीता राम जी के भक्ति में मदमस्त रहते हैं | वैष्णव भक्तो का ह्रदय बहुत कोमल होता हैं , इसी प्रकार हनुमान जी भी अपने भक्तो प्रति बहुत  संवेदनशील हैं| 

हनुमान जी को खुश करने का सबसे  आसान तरीका हैं राम जी की भक्ति करने का प्रयाश करना | राम जी के भक्तो के प्रति वे विशेष सतर्क रहते हैं | जो भी राम जी की भक्ति पाने के लिए उनसे प्राथना करता हैं,  उस व्यक्ति को राम जी की भक्ति आसानी से मिल जाती हैं | यह राम जी की भक्ति मिलना कोई आम बात नहीं हैं | कई जन्म लग जाते हैं भगवन विष्णु की भक्ति  पाने में | रोज हनुमान चालीसा का ध्यान से पाठ करने वाले के मन में रामधुन अपनेआप  चलने लगती हैं | यह मैं खुद अपने अनुभव से बोल रहा हूँ | आप करके तो देखिये |

हनुमान चालीसा का पाठ करने से आप बहुत ही आसानी से उनका ध्यान अपनी ओर खिंच सकते हैं |  आप हमेशा ही शुभ विचारो के साथ और अच्छे उद्देशय के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करें | याद रखें आप सबको धोखा दे सकते हैं , आपने आप से भी  झूठ बोल सकते हैं , पर जो आपके भीतर की सभी इच्छाएं , विचार , झुकाओ , कमजोरी  को जानते हो, उनसे कैसे झूठ बोलोगे ? अतः  हनुमान चालीसा पड़ते समय , हनुमान जी की पूजा करते समय मन में सच बोलो , शुभ मांगों , किसी के लिए बुरा मत मांगों |

सीता राम सीता राम,सीताराम कहिये, जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिये।

एक बार  बादशाह अकबर,  जो कि मंदिरो को तोड़ने और लोगो को मारने में विशेष आनंद  लेता था,  गोस्वामी तुलसीदास जी से नाराज हो गया | उनको अकबर ने फतेहपुत के जेल में कैद कर दिया | तब गोस्वामी तुलसीदास जी ने  इस अद्भुत हनुमान चालीसा की रचना की | जैसे ही यह रचना हुई, उस शहर को बंदरो ने घेर लिया और भयंकर उत्पात मचाने लगे | अकबर के सिपाही भी उन बन्दरो को रोकने में असफल रहे | तब डर के मारे अकबर ने एक मंत्री की सलाह पर गोस्वामी तुलसी दास जी को रिहा कर दिया |

अतः भक्त जब भी संकट में होते हैं , वे ध्यान से, नियम पूर्वक, साफ सफाई बरतते हुए , ब्रम्चारि रह कर भक्ति भाव के साथ हनुमान चालीसा का 1, 3 , 7 , 11 ,21, 40  य 108  बार  पाठ करते हैं |  याद रखिये  एक बार पाठ करने में सामान्यतः 5 मिनट लगते हैं | 108 बार पाठ करने के लिए 5 X 108 = 540 ( 9  घंटे ) लगेंगे | मुझे यह पहले पता नहीं था | एक बार रात को 10 बजे शुरू किया |  नियम यह है की संकल्प करके एक बार शुरू करने के बाद उठना नहीं हैं | इसलिए रात भर करता ही रहा| 🙂

इसकी हर चौपाई सिद्ध है | अर्तार्थ , इन्हे सिद्ध नहीं करना पड़ता है, पहले से ही शक्ति युक्त है | आपको केवल ध्यान से, नियम पूर्वक, भक्ति भाव से पूरी निष्ठा से पाठ करना है |

विशेष कार्य सिद्धि / संकट के लिए  5 दिनों का संकल्प या 7  दिनों का, 11 , 21 या 40 दिनों का संकल्प भी लिया जाता है | कहते है  नियम पूर्वक रोज 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ 40 दिनों  का संकलप लेके करने से सवयं हनुमान जी का दर्शन हो जाता है | वे अक्सर एक ब्राह्मण , एक बच्चे , बन्दर या स्वपन में योग्यता, अपनी  इच्छा अनुसार में दर्शन  देते है |

रामदूत हनुमान जी आपकी सभी शुभ मनोकामनाओ को पूरा करे , आपके सभी मुश्किलें दूर कर दे|

सियावर रामचंद्र की जय |

पवनपुत्र हनुमान की जय |

  • हिंदी / अवधि 
  • English

॥ श्री हनुमान चालीसा ॥

॥ दोहा॥

श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार ॥

॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥

शंकर सुवन केसरीनन्दन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन॥

बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥

लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥

दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०॥

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥

आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥२४॥

नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥

और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥

चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥

राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥

तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥

संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥

जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०॥

॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप ॥

Hanuman Chalisa lyrics ( in English)

॥Doha:॥

Shri guru charan saroj raj
Nij manu mukur sudhaari ॥
Baranau Raghubar bimal jasu
Jo dayaku phal chaari ॥

Buddhiheen tanu jaanike
Sumirau pavan-kumaar ॥
Bal buddhi vidya dehu mohi
Harahu kales bikar ॥

॥Chaupai:॥

Jay Hanuman gyan gun sagar
Jay Kapis tihu lok ujaagar ॥

Ram doot atulit bal dhaama
Anjani putra Pavan sut naama ॥

Mahaabir bikram Bajarangi
Kumati nivaar sumati ke sangi ॥

Kanchan baran biraj subesa
Kanan kundal kunchit kesa ॥

Haath bajra aur dhvaja biraajai
Kaandhe moonj janeu saajai ॥

Shankar suvan Kesari Nandan
Tej pratap mahaa jag vandan ॥

Vidyavaan guni ati chaatur
Ram kaj karibe ko aatur ॥

Prabhu charitra sunibe ko rasiya
Ram Lakhan Sita man basiya ॥

Sukshma roop dhari siyahi dikhava,
Bikat roop dhari lanka jarava ॥

Bheem roop dhari asur samhare,
Ramachandra ke kaj samvare ॥

Laayi sajeevan Lakhan jiyaaye,
Shri Raghubir harashi ur laaye ॥

Raghupati keenhi bahut badai,
Tum mam priya Bharatahi sam bhai ॥

Sahas badan tumharo jas gaave,
Asa kahi Shripati kanth lagaave ॥

Sanakadik brahmaadi munisa,
Narad saarad sahit ahisa ॥

Yam Kubera digpala jahaan te,
Kavi kobid kahi sake kahaan te ॥

Tum upakara Sugreevahin keenha,
Ram milaayi raaj pad deenha ॥

Tumharo mantra Bibheeshana maana,
Lankeshwar bhaaye sab jag jaana ॥

Jug sahastra jojan par bhaanu,
Lielyo taahi madhur phal jaanu ॥

Prabhu mudrika meli mukh maahi,
Jaladhi laanghi gaye achraj naahi ॥

Durgam kaaj jagat ke jete,
Sugam anugrah tumhare tete ॥

Ram duare tum rakhware,
Hot na aajnya binu paisare ॥

Sab sukh lahai tumhari sarna,
Tum rakshak kaahu ko darna ॥

Aapan tej samhaaro aapai,
Teenon lok haank te kaapai ॥

Bhoot pishaach nikat nahin aavai,
Mahaveer jab naam sunaavai ॥

Nasai roga harai sab peera,
Japat nirantra Hanumat beera ॥

Sankat tai Hanuman chhudaavai,
Man kram bachan dhyaan jo laavai ॥

Sab par Ram tapasvi raja,
Tinke kaaj sakal tum sajaa ॥

Aur manorath jo koi laavai,
Soi amit jeevan phal paavai ॥

Charon jug paratap tumhaara,
Hai par siddh jagat ujiyaara ॥

Sadhu sant ke tum rakhavaare,
Asur nikandan Ram dulaare ॥

Asht siddhi nau nidhi ke daata,
Asa bar deen Janaki maata ॥

Ram rasaayan tumhare paasaa,
Sada raho Raghupati ke daasaa ॥

Tumhare bhajan Ram ko paavai,
Janam janam ke dukh bisaraavai ॥

Antakaal Raghuvir pur jaai,
Jahaan janma Haribhakta kahaai ॥

Aur devata chitta naa dharai,
Hanumat sei sarva sukh karai ॥

Sankat katai mitai sab peera,
Jo sumirai Hanumat balbeera ॥

Jai jai jai Hanuman Gosai,
Kripa karahu Gurudeva ki naai ॥

Jo sat baar paath kar koi,
Chhutahi bandi maha sukh hoi ॥

Jo yah padhai Hanuman chalisa,
Hoi siddhi sakhi Gaurisa ॥

Tulsidas sada Hari chera,
Keejai naath hrdaya mah dera ॥

Doha:
Pavan tanay sankat haran,
Mangal moorti roop ॥
Ram Lakhan Sita sahit,
Hriday basahu sur bhoop ॥

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