भगवान श्री नृसिंह देव कि आरती अति शक्तिशाली है | ISKCON मंदिरों में ऐसे दिन में कम से कम दो बार, सुबह और शाम कि आरती में अवस्य ही गाया जाता है |
इस आरती को दो जगहों से लिया गया है | इसका दूसरा भाग जय देव गोस्वामी की दसावतार स्तोत्र में आता है |
इस आरती को गाने से भक्तो को भगवान श्री नृसिंह देव की आश्रय का आभास होता है |
हर वैष्ण्व क़े रक्षक भगवान श्री नृसिंह देव अपने भक्तों कि एक पिता की सामान रक्षा करते है | आदि काल से यही परंपरा है | हिरण्यकश्यपु की पुत्र प्रह्लाद महाराज कि कथा सब को पता है | इनके साथ में अनेकों कहानियां हैं नृसिंह देव की | भारत, हैदराबाद में यादगिरी नरसिम्हा मंदिर है , जहाँ उन्होंने याद ऋषि को दर्शन दिए थे | वैसे ही अहोबीलम है |
जय नृसिंह देव , जय नृसिंह देव , जय प्रह्लाद महाराज |
- हिंदी / संस्कृत
- English
नमस्ते नरसिंहाय
प्रह्लादाह्लाद-दायिने
हिरण्यकशिपोर्वक्षः-
शिला-टङ्क-नखालये
इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो
यतो यतो यामि ततो नृसिंहः
बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो
नृसिंहमादिं शरणं प्रपद्ये
तव करकमलवरे नखमद्भुत-शृङ्गं
दलितहिरण्यकशिपुतनुभृङ्गम्
केशव धृतनरहरिरूप जय जगदीश हरे ।
Namaste Narasimhaya
Prahladahlada-dayine
Hiranyakashiporvaksha-
Shila-tankha-nakhalaye
Ito Nrisimhah Parato Nrisimho
Yato Yato Yamitato Nrisimhah
Bahirnrisimho Hridaye Nrisimho
Nrisimham Adim Sharanam Prapadye
Tava Karamalavare Nakhamadbhuta-shringam
Dalita Hiranyakashipu Tanubhringam
Keshava Dhrta Narahari Rupa Jaya Jagadisha Hare॥