आदि शंकराचार्य द्वारा रचित यह प्रसिद्ध स्लोकावली “श्री कृष्णाष्टकम्” अपने आप में एक अनुपम रचना है | इसको पढ़ते ही आपको पता चलेगा की इसका उच्चारण करते समय बड़े ही आनंदमई, तबले – ढोल और मधुर वाद्य यंत्रो की सी आवाज़ निकलती है | इसके शब्द बड़े ही रोचक क्रम में हैं |
इन श्लोकों में भगवान के वृन्दावन लीला का विशेष वर्णन है | गोकुल वृन्दावन की लीलाएं बड़ी ही सुन्दर, मधुर एवं मन मोहक हैं | चाहे भगवान का बाल गोपाल कृष्ण रूप हो याह माखनचोर हो याह फिर गैया चराने वाले किशोर गोपाल याह गोपीजन वल्लभ बासुरी वादक कृष्ण , हजारों सालों से उन्होंने अपने भक्तों के मन को चुरा रखा है |
जो भी इसका पाठ करता है, उसको भगवान श्री कृष्ण की भक्ति स्वतः ही प्राप्त हो जाती है |
एक और “श्री कृष्णाष्टकम् -कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् ” भी है, जिसे आप यहाँ देख सकतें है |
जय श्री कृष्ण | हरे कृष्ण |
- हिंदी / संस्कृत
- English
श्री कृष्णाष्टकम्
भजे व्रजैक मण्डनम्, समस्त पाप खण्डनम्,
स्वभक्त चित्त रञ्जनम्, सदैव नन्द नन्दनम्,
सुपिन्छ गुच्छ मस्तकम् , सुनाद वेणु हस्तकम् ,
अनङ्ग रङ्ग सागरम्, नमामि कृष्ण नागरम् ॥ १ ॥
मनोज गर्व मोचनम् विशाल लोल लोचनम्,
विधूत गोप शोचनम् नमामि पद्म लोचनम्,
करारविन्द भूधरम् स्मितावलोक सुन्दरम्,
महेन्द्र मान दारणम्, नमामि कृष्ण वारणम् ॥ २ ॥
कदम्ब सून कुण्डलम् सुचारु गण्ड मण्डलम्,
व्रजान्गनैक वल्लभम नमामि कृष्ण दुर्लभम.
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया,
युतम सुखैक दायकम् नमामि गोप नायकम् ॥ ३ ॥
सदैव पाद पङ्कजम मदीय मानसे निजम्,
दधानमुत्तमालकम् , नमामि नन्द बालकम्,
समस्त दोष शोषणम्, समस्त लोक पोषणम्,
समस्त गोप मानसम्, नमामि नन्द लालसम् ॥ ४ ॥
भुवो भरावतारकम् भवाब्दि कर्ण धारकम्,
यशोमती किशोरकम्, नमामि चित्त चोरकम्.
दृगन्त कान्त भङ्गिनम् , सदा सदालसंगिनम्,
दिने दिने नवम् नवम् नमामि नन्द संभवम् ॥ ५ ॥
गुणाकरम् सुखाकरम् क्रुपाकरम् कृपापरम् ,
सुरद्विषन्निकन्दनम् , नमामि गोप नन्दनम्.
नवीनगोप नागरम नवीन केलि लम्पटम् ,
नमामि मेघ सुन्दरम् तथित प्रभालसथ्पतम् ॥ ६ ॥
समस्त गोप नन्दनम् , ह्रुदम्बुजैक मोदनम्,
नमामि कुञ्ज मध्यगम्, प्रसन्न भानु शोभनम्.
निकामकामदायकम् दृगन्त चारु सायकम्,
रसालवेनु गायकम, नमामि कुञ्ज नायकम् ॥ ७ ॥
विदग्ध गोपिका मनो मनोज्ञा तल्पशायिनम्,
नमामि कुञ्ज कानने प्रवृद्ध वह्नि पायिनम्.
किशोरकान्ति रञ्जितम, द्रुगन्जनम् सुशोभितम,
गजेन्द्र मोक्ष कारिणम, नमामि श्रीविहारिणम ॥ ८ ॥
यथा तथा यथा तथा तदैव कृष्ण सत्कथा ,
मया सदैव गीयताम् तथा कृपा विधीयताम.
प्रमानिकाश्टकद्वयम् जपत्यधीत्य यः पुमान ,
भवेत् स नन्द नन्दने भवे भवे सुभक्तिमान ॥ ९ ॥
ॐ नमो श्रीकृष्णाय नमः॥
ॐ नमो नारायणाय नमः॥
- आदि शंकराचार्य
bhaje vrajaik mandanam, sampoorn paap khandanam,
svabhakt chitt ranjanam, sadaiv nand nandanam,
supinch guchchh mastakam, sunaad venu hastakam,
anang rang saagaram, namaami krshn naagaam ॥ ॥
manoj gaurav mochanam vishaal lol lochanam,
vidhut gop shochanam namaami padm lochanam,
karavind bhoodharam smitaavalok sundaram,
mahendr maan daaranam, namaami krshn varnam ॥ 2॥
charanab soon kundalam suchaaru gand mandalam,
vrjaanganaak vallabham namaami krshn durlabham॥
yashoday samoday sagopaay sannadaya,
yutam sukhaikadaayakam namaami gop naayakam ॥ 3 ॥
sada paad paakajam madeey manase nijam,
dadhaanamuttamaalakam, namaami nand aayulaam,
samagr dosh shoshanam, samagr lok poshanam,
sarv gop maanasan, namaami nand laalasam ॥ 4 ॥
bhuvo bhaaravataarakam bhavaabdi karn dhaarakam,
yashomatee kishorakam, namaami chitt chorakam॥
digant kaant bhaginam, sada sadaalasanginam,
dine dine navam navam namaami nand sambhavam ॥ 5 ॥
gunaakaram sukhakaram krpapaakaram krpaaparam,
suradvishnnikandanam, namaami gop nandanam॥
naveenagop naagaam naveen keli lampatam,
namaami megh sundaram tathit prabhallastaptam ॥ 6 ॥
samagr gop nandanam, hrudambujaik modanam,
namaami kunj madhyagam, manohar bhaanu shobhanam॥
nikamakaamadaayakam digant chaaru saayakam,
rasaalavenu gaayakam, namaami kunj naayakam ॥ 7 ॥
vidagdh gopika mano manogy talpashaayinam,
namaami kunj kaane pravrddh vahni paayanam॥
kishorakaanti ranjitam, druganjanam sushobhitam,
gajendr moksh karinam, namaami shreevihaarinam ॥ 8॥
yatha tatha yatha tatha tadaiv krshn satakatha,
maaya sadaiv geeyataam tatha krpa vidheeyatam॥
praamaanikaashtakadvayam japatyadheety yah pumaan,
bhavet sa nand nandane bhave bhave subhaktiman॥ 9 ॥
om namo shreekrshnaay namah॥
om namo naaraayanaay namah॥
-- Aadi sankracharya