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व्यक्ति के जन्म पत्री में यदि राहु दोश है तो उन्हें राहु मन्त्रों का जप करने से फायदा हो सकता है | मुश्किलें तब आती हैं जब मन माने ढंग से जप करने से | हमारा परामर्श है की किसी योग्य गुरु अथवा अपने परिवार के पूजित पंडित जी या पुरोहित जी से परामर्श ले कर , सही ढंग से करें | राहु मंत्र के जप को जो भी नियम एवं तरीका है उसको सही सही पालन करना अत्यन्यत आवश्यक है |
राहु को अच्छा ग्रह नहीं माना जाता है | वजह : अक्सर दूसरे अच्छे ग्रहों के अच्छे प्रभावों को विपरीत कर देता है | जैसे की प्रेम है तो , राहु मिलने से प्रेम संबंधों से कटवाहट , झगड़ा हो सकता है , बुद्धि होना है तो राहु मिलने से कुमार्ग की बुद्धि हो सकती है |
हालाँकि, अगर शुभ स्थान स्ताहन में है तो फायदा भी करवा सकते हैं |
राहु ग्रह को शांत करने एवम अनुकूल बनाने के लिए अन्य उपायों में राहु अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्, राहु मन्त्र, राहु कवच इत्यादि भी आते हैं |
- हिंदी / संस्कृत
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राहु बीज मंत्र :
|| ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः ||
विनियोग:
ॐ अस्य श्री राहू मंत्रस्य, ब्रह्मा ऋषि:, पंक्ति छन्द:, राहू देवता, रां बीजं, देश: शक्ति: श्री राहू प्रीत्यर्थे जपे विनियोग:
वन्दे राहुं धूम्र वर्ण अर्धकायं कृतांजलिं। विकृतास्यं रक्त नेत्रं धूम्रालंकार मन्वहम्॥
राहु शांति मंत्र :
|| ॐ राहवे देवाय शांतिम, राहवे कृपाए करोति
राहवे क्षमाए अभिलाषत्, ॐ राहवे नमो: नम: ||
राहु सात्विक मंत्र :
॥ ॐ रां राहवे नम: ॥
राहु तांत्रोक्त मंत्र :
॥ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: ॥
राहु गायत्री मंत्र :
|| ॐ नागध्वजाय विद्महे पद्महस्ताय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ||
या
॥ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात॥
पूर्ण राहु मंत्र:
|| ॐ अर्धकायं महावीर्य चन्द्रादित्यविमर्दनम, सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम ||
राहु स्तोत्र :
राहुर्दानवमंत्री च सिंहिकाचित्तनन्दन:।
अर्धकाय: सदा क्रोधी चन्द्रादित्य विमर्दन: ॥1॥
रौद्रो रूद्रप्रियो दैत्य: स्वर्भानु र्भानुभीतिद:।
ग्रहराज सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुक:॥2॥
कालदृष्टि: कालरूप: श्री कंठह्रदयाश्रय:।
बिधुंतुद: सैंहिकेयो घोररूपो महाबल:॥3॥
ग्रहपीड़ाकरो दंष्टो रक्तनेत्रो महोदर:।
पंचविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदानर:॥4॥
य: पठेन्महती पीड़ा तस्य नश्यति केवलम्।
आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा॥5॥
ददाति राहुस्तस्मै य: पठेत स्तोत्र मुत्तमम्।
सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नर:॥6॥
Rahu bija mantra
॥ om bhram bhrim bhraum sah rahave namah ॥
Viniyoga
om asya shri rahu mantrasya, brahma rshih, pamkti chandah, rahu devata, ram bijam, deshah shaktih shri rahu prityarthe jape viniyogah:
vande rahum dhumra varna ardhakayam krutamjalim |
vikrutasyam rakta netram dhumralamkara manvaham ॥
Rahu shanti mantra
॥ om rahave devaya shamtim, rahave krupaye karoti
rahave kshamaye abhilasat, om rahave namoh namah ॥
Rahu satvik mantra
॥ om ram rahave namah ॥
Rahu tantrokta mantra
॥ om bhram bhrim bhraum sah rahave namah ॥
Rahu gayatri mantra
॥ om nagadhvajaya vidmahe padmahastaya dhimahi tanno rahuh prachodayat ॥
or
॥ om shirorupaya vidmahe amruteshaya dhimahi tanno rahuh prachodayat ॥
Purna rahu mantra
॥ om ardhakayam mahavirya chandradityavimardanam, simhikagarbhasambhutam tam rahum pranamamyaham ॥
Rahu stotra
rahurdanavamantri cha simhikachittanandanah |
ardhakayah sada krodhi chandraditya vimardanah ॥ 1 ॥
raudro rudrapriyo daityah svarbhanuh bhanubhitidah |
graharaja sudhapayi rakatithyabhilashukah ॥ 2 ॥
kaladrushtih kalarupah shri kanthahrudayashrayah |
vidhuntudah saimhikeyo ghorarupo mahabalah ॥ 3 ॥
grahapidakaro damshtro raktanetro mahodarah |
pamchavimshati namani smrutva rahum sadanarah ॥ 4 ॥
yah pathenmahati pida tasya nashyati kevalam |
arogyam putramatulam shriyam dhanyam pashumstatha ॥ 5 ॥
dadati rahustasmai yah pathet stotramuttamam |
satatam pathate yastu jivedvarshashatam narah ॥ 6 ॥