घंटाकर्ण महावीर जैन धर्म के 52 महावीरों में से एक हैं | वे एक रक्षक वीर हैं और भक्तों की रक्षा करतें हैं |
कहा जाता है की पिछले जन्म में वे राजा आर्य के रूप में हुए थे | डाकुओं से अपने राज्य के स्त्रियों की रक्षा करते हुए वे वीरगति को प्राप्त हुए | अतः वे देवता बने एवम अभी भी सभी जैन भक्तों की रक्षा करतें हैं |
समस्त दुःख, बीमारी दूर करने के लिए इस मंत्र को 108 बार जप करें | समस्त भय को दूर करने के लिए 21 बार जप करें |
कुछ नियम:
- हमेशा एक योग्य गुरु के परामर्श से ही इसकी साधना करें |
- महिलाओं को सामान्तया नहीं करना चाहिए | गुरु से परामर्श ले |
- मांसाहार, मदिरा यह कोई भी अभक्ष्य खाने का सेवन न करें |
- ब्रम्चर्य का पालन करें | इस पर शादीशुदा गुरु से परामर्श अवस्य ले |
- सत्य बोलें | धोखा-धड़ी से बचें |
- हिंदी / संस्कृत
- English
घंटाकर्ण महावीर का मंत्र :
ॐ घंटाकर्ण महावीर नमोस्तु ते ठः ठः ठः स्वाहा।
मंत्र – 1. घंटाकर्ण विध्न विनाशक मंत्र
ॐ घंटाकर्णो महावीरः सर्वव्याधि-विनाशकः।
विस्फोटक भयं प्राप्ते, रक्ष-रक्ष महाबलः ॥1॥
यत्र त्वं तिष्ठसे देव! लिखितोऽक्षर-पंक्तिभिः।
रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, वात पित्त कफोद्भवाः ॥2॥
तत्र राजभयं नास्ति, यान्ति कर्णे जपात्क्षयम्।
शाकिनी -भूत वेताला, राक्षसाः प्रभवन्ति नो ॥3॥
नाकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण डश्यते ।
अग्नि चौर भयं नास्ति, नास्ति तस्य अरि -भयं
ॐ ह्वीं श्रीं घंटाकर्ण ||४||
मंत्र 2 घंटाकर्ण चमत्कारि मंत्र
॥ ॐ हरी श्री क्ली ब्लूँ ही घंटाकर्णो नमोस्तुते ॐ
मंत्र – 3 घंटाकर्ण लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र
॥ ॐ ही श्री क्ली क्रौं ॐ घंटाकर्ण महावीर
लक्ष्मी पूरय पूरय सुख सौभाग्यं कुरू कुरू स्वाहा ॥
Ghaṇṭākarṇa Mahāvīra Kā Mantra:
Om Ghaṇṭākarṇa Mahāvīra Namostu Te Ṭhaḥ Ṭhaḥ Ṭhaḥ Svāhā.
Mantra – 1: Ghaṇṭākarṇa Vighna Vināshaka Mantra
Om Ghaṇṭākarṇo Mahāvīraḥ Sarvavyādhi-Vināshakaḥ.
Visphoṭaka Bhayaṁ Prāpte, Rakṣa-Rakṣa Mahābalaḥ ॥1॥
Yatra Tvaṁ Tiṣṭhase Deva! Likhito’kṣara-Paṁktibhiḥ.
Rogāstatra Praṇaśyanti, Vāta Pitta Kaphodbhavāḥ ॥2॥
Tatra Rājabhayaṁ Nāsti, Yānti Karṇe Japātkṣayam.
Shākinī-Bhūta Vetālā, Rākṣasāḥ Prabhavanti No ॥3॥
Nākāle Maraṇaṁ Tasya, Na Ca Sarpeṇa Daśyate.
Agni Caura Bhayaṁ Nāsti, Nāsti Tasya Ari-Bhayaṁ
Om Hvīṁ Shrīṁ Ghaṇṭākarṇa ॥4॥
Mantra – 2: Ghaṇṭākarṇa Chamatkāri Mantra
॥ Om Harī Shrī Klī Blūṁ Hī Ghaṇṭākarṇo Namostute Om ॥
Mantra – 3: Ghaṇṭākarṇa Lakṣmī Prāpti Mantra
॥ Om Hī Shrī Klī Kraūṁ Om Ghaṇṭākarṇa Mahāvīra
Lakṣmī Pūraya Pūraya Sukha Saubhāgyaṁ Kuru Kuru Svāhā ॥