वाराही अष्टोत्तर शत नामावलि – Varahi Ashtottara Sata Namavali

वाराही अष्टोत्तर शत नामावलि माँ वाराही के अति शुभ 108  नामों की श्रंखला है | अति उच्च कोटि के साधक महाविद्याओं जैसे उग्र रूप की साधना कर सकतें हैं |

उसी प्रकार माँ वाराही भी उग्र रूपों में आतीं हैं | उनकी उपासना किसी उच्च एवम कठिन उद्देस्य से किया जाता है|  अपने भक्तों पर असीमित कृपा बरसाने वालीं माँ वाराही के यह दिव्य 108 नाम का सही उच्चारण एवं उपासना के नियम आपको योग्य गुरुवरों से सीखना चाहिए |

याद रखें, हम जो साधारणतया पूजा पाठ करतें हैं , उसमे भक्ति ज्यादा होती है | भक्ति से पूजा के नियमों में अनजाने में हुई गलती कुछ हद तक माफ़ हो जाती है क्यों की भगवान विष्णु , कृष्ण , राम भाव ग्राही होतें है | छोटी मोटी गलतियों को नादर अंदाज कर देतें हैं |

पर जब आप दैवी शक्तियों का आह्वान करके कुछ गंभीर साधना करना चाहते हैं , जैसे की माँ वाराही, तो आपको विशेष सावधानी बरतनी चाहिए |

ज्यादा चिंता मत कीजिये | माँ तो माँ होती हैं | वात्सल्य भाव से परिपूर्ण | बस आप अपने इरादें नेक रखिये | भक्ति भाव से,  शुद्ध हृदय से  साधना कीजिये, उच्च  साधकों एवम गुरुओं के निरिक्षण में, तो आपका मंगल होगा |

माँ वाराही आपके सभी सुबह मनोकामनाओं को पूर्ण करें | आपके एवम आपके परिवार की रक्षा करें | आपको सभी रिद्धि-सिद्धि, समृद्धि दें |

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ॐ वराहवदनायै नमः ।
ॐ वाराह्यै नमः ।
ॐ वररूपिण्यै नमः ।
ॐ क्रोडाननायै नमः ।
ॐ कोलमुख्यै नमः ।
ॐ जगदम्बायै नमः ।
ॐ तारुण्यै नमः ।
ॐ विश्वेश्वर्यै नमः ।
ॐ शङ्खिन्यै नमः ।
ॐ चक्रिण्यै नमः । 10 ॥

ॐ खड्गशूलगदाहस्तायै नमः ।
ॐ मुसलधारिण्यै नमः ।
ॐ हलसकादि समायुक्तायै नमः ।
ॐ भक्तानां अभयप्रदायै नमः ।
ॐ इष्टार्थदायिन्यै नमः ।
ॐ घोरायै नमः ।
ॐ महाघोरायै नमः ।
ॐ महामायायै नमः ।
ॐ वार्ताल्यै नमः ।
ॐ जगदीश्वर्यै नमः । 20 ॥

ॐ अन्धे अन्धिन्यै नमः ।
ॐ रुन्धे रुन्धिन्यै नमः ।
ॐ जम्भे जम्भिन्यै नमः ।
ॐ मोहे मोहिन्यै नमः ।
ॐ स्तम्भे स्तम्भिन्यै नमः ।
ॐ देवेश्यै नमः ।
ॐ शत्रुनाशिन्यै नमः ।
ॐ अष्टभुजायै नमः ।
ॐ चतुर्हस्तायै नमः ।
ॐ उन्मत्तभैरवाङ्कस्थायै नमः । 30 ॥

ॐ कपिललोचनायै नमः ।
ॐ पञ्चम्यै नमः ।
ॐ लोकेश्यै नमः ।
ॐ नीलमणिप्रभायै नमः ।
ॐ अञ्जनाद्रिप्रतीकाशायै नमः ।
ॐ सिंहारुढायै नमः ।
ॐ त्रिलोचनायै नमः ।
ॐ श्यामलायै नमः ।
ॐ परमायै नमः ।
ॐ ईशान्यै नमः । 40 ॥

ॐ नीलायै नमः ।
ॐ इन्दीवरसन्निभायै नमः ।
ॐ घनस्तनसमोपेतायै नमः ।
ॐ कपिलायै नमः ।
ॐ कलात्मिकायै नमः ।
ॐ अम्बिकायै नमः ।
ॐ जगद्धारिण्यै नमः ।
ॐ भक्तोपद्रवनाशिन्यै नमः ।
ॐ सगुणायै नमः ।
ॐ निष्कलायै नमः । 50 ॥

ॐ विद्यायै नमः ।
ॐ नित्यायै नमः ।
ॐ विश्ववशङ्कर्यै नमः ।
ॐ महारूपायै नमः ।
ॐ महेश्वर्यै नमः ।
ॐ महेन्द्रितायै नमः ।
ॐ विश्वव्यापिन्यै नमः ।
ॐ देव्यै नमः ।
ॐ पशूनां अभयङ्कर्यै नमः ।
ॐ कालिकायै नमः । 60 ॥

ॐ भयदायै नमः ।
ॐ बलिमांसमहाप्रियायै नमः ।
ॐ जयभैरव्यै नमः ।
ॐ कृष्णाङ्गायै नमः ।
ॐ परमेश्वरवल्लभायै नमः ।
ॐ सुधायै नमः ।
ॐ स्तुत्यै नमः ।
ॐ सुरेशान्यै नमः ।
ॐ ब्रह्मादिवरदायिन्यै नमः ।
ॐ स्वरूपिण्यै नमः । 70 ॥

ॐ सुराणां अभयप्रदायै नमः ।
ॐ वराहदेहसम्भूतायै नमः ।
ॐ श्रोणी वारालसे नमः ।
ॐ क्रोधिन्यै नमः ।
ॐ नीलास्यायै नमः ।
ॐ शुभदायै नमः ।
ॐ अशुभवारिण्यै नमः ।
ॐ शत्रूणां वाक्‍स्तम्भनकारिण्यै नमः ।
ॐ शत्रूणां गतिस्तम्भनकारिण्यै नमः ।
ॐ शत्रूणां मतिस्तम्भनकारिण्यै नमः । 80 ॥

ॐ शत्रूणां अक्षिस्तम्भनकारिण्यै नमः ।
ॐ शत्रूणां मुखस्तम्भिन्यै नमः ।
ॐ शत्रूणां जिह्वास्तम्भिन्यै नमः ।
ॐ शत्रूणां निग्रहकारिण्यै नमः ।
ॐ शिष्टानुग्रहकारिण्यै नमः ।
ॐ सर्वशत्रुक्षयङ्कर्यै नमः ।
ॐ सर्वशत्रुसादनकारिण्यै नमः ।
ॐ सर्वशत्रुविद्वेषणकारिण्यै नमः ।
ॐ भैरवीप्रियायै नमः ।
ॐ मन्त्रात्मिकायै नमः । 90 ॥

ॐ यन्त्ररूपायै नमः ।
ॐ तन्त्ररूपिण्यै नमः ।
ॐ पीठात्मिकायै नमः ।
ॐ देवदेव्यै नमः ।
ॐ श्रेयस्कर्यै नमः ।
ॐ चिन्तितार्थप्रदायिन्यै नमः ।
ॐ भक्तालक्ष्मीविनाशिन्यै नमः ।
ॐ सम्पत्प्रदायै नमः ।
ॐ सौख्यकारिण्यै नमः ।
ॐ बाहुवाराह्यै नमः । 100 ॥

ॐ स्वप्नवाराह्यै नमः ।
ॐ भगवत्यै नमः ।
ॐ ईश्वर्यै नमः ।
ॐ सर्वाराध्यायै नमः ।
ॐ सर्वमयायै नमः ।
ॐ सर्वलोकात्मिकायै नमः ।
ॐ महिषासनायै नमः ।
ॐ बृहद्वाराह्यै नमः । 108 ॥

इति श्रीवाराह्यष्टोत्तरशतनामावलिः ।

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