माँ दुर्गा की महिमा अपरम्पार है | आज के समय में उनकी स्तुति करने का एक सरल उपाय है “दुर्गा चालीसा ” का पाठ करना |
दुर्गा चालीसा में 40 दोहे हैं , जो की बहुत ही आसान भाषा में हैं | पढ़ने में बड़े सरस और सुखद हैं | माँ दुर्गा के भक्त इन दोहो को पढ़के आनंद को प्राप्त होते हैं |
हर कीर्तन ,भजन, चालीसा किसी न किसी शास्त्र पे आधारित होते हैं| जैसे की हनुमान चालीसा रामायण या रामचरितमानस पर आधारित हैं , उसी प्रकार लगता है दुर्गा चालीसा देवी पुराण पर आधारित है | इस चालीसा में माँ दुर्गा द्वारा किये गए महँ कार्यों का उल्लेख भी हैं जैसे की शुम्भ- निशुम्भ और महिसासुर का वध इत्यादि |
सनातन वैदिक धर्म की यह महानता हैं की इसमें शक्ति की पूजा नारी के रूप में होती हैं | माँ दुर्गा अत्यंत दयालु और शीघ्रता से इच्छित फल प्रदान करने वाली हैं | इस जगत का वोह एक माँ के सामान ख्याल रखती हैं | जब भी कोई विशेष संकट आता है , माँ उसके निवारण के उपाय अवस्य करती हैं | दुर्गा माँ अपने भक्तो को धन, धान्य , सम्पनता और सुख से भर देती हैं |
बोलो शेरवाली माँ दुर्गा भवानी की — जय
Download “Durga Chalisa PDF” durga-chalisa.pdf – Downloaded 2691 times – 145.36 KBहिंदी ❈ English ❈ ਪੰਜਾਬੀ (Punjabi) ❈ বাংলা (Bangla) ❈ ગુજરાતી (Gujarati) ❈ ಕನ್ನಡ (Malayalam) ❈ ಕನ್ನಡ (Kannada) ❈ தமிழ் (Tamil) ❈ తెలుగు (Telugu) ❈
- हिंदी / संस्कृत
- English
दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४
तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ ८
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२
क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥
मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६
केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २०
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २४
अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २८
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३२
शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३६
शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥
करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥ ४०
देवीदास शरण निज जानी ।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
॥दोहा॥
शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक ॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥
Durga Chalisa (in English)
namo namo durge sukh karane ॥
namo namo durge duhkh haranee ॥
nirankaar hai jyoti vivaah ॥
tihoon lok photo ujiyaaree ॥
shashi lalaat mukh mahaavishaala ॥
netr laal bhrkuti vikaaraala ॥
roop maatu ko adhik suhaave ॥
darash karat jan ati sukh paave ॥ 4 ॥
tum sansaar shakti laee keena ॥
paalan poshan ann dhan deena ॥
annapoornaahuee jag paala ॥
tum hee aadi sundaree baala ॥
pralayakaal sab naashan haaree ॥
tum shiv gaureeshankar maata ॥
shiv yogee tumhaare gun gaaven ॥
brahma vishnu stotr nit dhyaaven ॥ 8 ॥
roop sarasvatee ko tum dhaara ॥
de subuddhi rshi munin ubaara ॥
dharayo roop narasinh ko amba ॥
paragat bhee charanakar khamba ॥
raksha kaari prahlaad bachaayo ॥
hiranyaaksh ko svarg pathaayo ॥
lakshmee roop dharo jag maaheen ॥
shree naaraayan ang samaaheen ॥ 12 ॥
ksheerasindhu mein karat vilaasa ॥
dayaasindhu deejai man aasa ॥
hingalaaj mein tumheen bhavaanee ॥
mahima amit na jaat bakhaanee ॥
maatangee aru dhoomaavati maata ॥
bhunnee bagala sukh daata ॥
shree bhairav taara jag taarinee ॥
chhinn bhaal bhav duhkh nivaarinee ॥ 16 ॥
kehari vaahan soh bhavaanee ॥
laangur veer chalat svapnaanee ॥
kar mein khappar khadg vijai ॥
jaako dekh kaal dar bhaajai ॥
sohai astr aur trishoola ॥
jaate uthate shatru hiy shoola ॥
nagarakot mein tumheen viraajat ॥
tihunlok mein danka bajat ॥ 20 ॥
shumbh nishumbh daanav tum mere ॥
raktabeej shankhana sanhaare ॥
mahishaasur nrp ati abhimaanee ॥
jehi agh bhaar mahee akulaanee ॥
roop karaal kaalika dhaara ॥
sen tum sahit tihi sanhaara ॥
paree gadh santan par jab jab ॥
bhaee sahaayata maatu tab tab ॥ 24 ॥
amarapuree aru baasav loka ॥
tab mahima sab raho ashoka ॥
boot mein hai jyoti vivaah ॥
prshthabhaag sada poojen naranaaree ॥
prem bhakti se jo yash gaaven ॥
duhkh daaridr nikat nahin aaven ॥
dhyaave saagar jo nar man lai ॥
janmamaran taakau chhooti jaee ॥ 28 ॥
jogee sur muni kahat pukaari ॥
yog na ho bin shakti vrat ॥
shankar aachaaraj tap keeno ॥
kaam aru krodh jeeti sab leeno ॥
nishidin dhyaan dharo shankar ko ॥
kaahu kaal nahin sumiro tumako ॥
shakti roop ka marm na paayo ॥
shakti gaee tab man pachhitaayo ॥ 32 ॥
sharanagat huee keerti bakhaanee ॥
jay jay jay jagadamb bhavaanee ॥
bhaee maza aadi jagadamba ॥
dai shakti nahin keen vilmba ॥
moko maatu ati atishay ॥
tum bin kaun harai duhkh mero ॥
aasha trshna nit sataaven ॥
moh madaadik sab binashaaven ॥ 36 ॥
shatru naash kee jay mahaaraanee ॥
sumiraun ichit nakshatr bhavaanee ॥
karo krpa he maatu dayaala ॥
rddhisiddhi dai karahu nihaala ॥
jab lagi jioon daya phal paoon ॥
tummharo yash main sada sunoon ॥
shree durga chaaleesa jo koee gaavai ॥
sab sukh bhog paramapad paavai ॥ 40 ॥
deveedaas sharan nij jaanee ॥
karahu krpa jagadamb bhavaanee ॥
॥doha ॥
sharanaagat raksha kare,
bhakt rahe ni:shank ॥
main tere sharan mein aaya,
maatu lijie ank ॥
॥ iti shree durga chaaleesa ॥
जय मां दुर्गा