कैला देवी चालीसा का पाठ करके आप सभी को माँ भगवती कैला माता की भक्ति मिले और आपकी सभी शुभ मनोकामनाएं पूर्ण हों |
कैला माता का मंदिर राजस्थान के करौली नगर में स्तिथ हैं | स्वयं माँ भगवती दुर्गा की रूप माँ कैला देवी कलियुग में अपने भक्तों के उद्धार के लिए त्रिकूट पर्वत में प्रकट हुईं हैं | साथ में चामुंडा देवी की भी प्रतिमा हैं |
माँ सती के दिव्य श्री मुख का स्थान होने के कारन यह उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ हैं |
बाबा केदागिरी के कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर राक्षसो हैं वध कर माँ कैला देवी ने अपने भक्तों को अभय प्रदान किया | कहा जाता है की बहूरा भगत ने भी इस भूमि को ढूढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी |
भक्त लांगुरिया के गीत गए कर माँ की भक्ति करते हैं |
जय माँ कैला देवी |
- हिंदी / संस्कृत
- English
कैला देवी चालीसा
॥ दोहा ॥
जय जय कैला मात हे
तुम्हे नमाउ माथ ॥
शरण पडूं में चरण में
जोडूं दोनों हाथ ॥
आप जानी जान हो
मैं माता अंजान ॥
क्षमा भूल मेरी करो
करूँ तेरा गुणगान ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय कैला महारानी ।
नमो नमो जगदम्ब भवानी ॥
सब जग की हो भाग्य विधाता ।
आदि शक्ति तू सबकी माता ॥
दोनों बहिना सबसे न्यारी ।
महिमा अपरम्पार तुम्हारी ॥
शोभा सदन सकल गुणखानी ।
वैद पुराणन माँही बखानी ॥4॥
जय हो मात करौली वाली ।
शत प्रणाम कालीसिल वाली ॥
ज्वालाजी में ज्योति तुम्हारी ।
हिंगलाज में तू महतारी ॥
तू ही नई सैमरी वाली ।
तू चामुंडा तू कंकाली ॥
नगर कोट में तू ही विराजे ।
विंध्यांचल में तू ही राजै ॥8॥
धौलागढ़ बेलौन तू माता ।
वैष्णवदेवी जग विख्याता ॥
नव दुर्गा तू मात भवानी ।
चामुंडा मंशा कल्याणी ॥
जय जय सूये चोले वाली ।
जय काली कलकत्ते वाली ॥
तू ही लक्ष्मी तू ही ब्रम्हाणी ।
पार्वती तू ही इन्द्राणी ॥12॥
सरस्वती तू विद्या दाता ।
तू ही है संतोषी माता ॥
अन्नपुर्णा तू जग पालक ।
मात पिता तू ही हम बालक ॥
तू राधा तू सावित्री ।
तारा मतंग्डिंग गायत्री ॥
तू ही आदि सुंदरी अम्बा ।
मात चर्चिका हे जगदम्बा ॥16॥
एक हाथ में खप्पर राजै ।
दूजे हाथ त्रिशूल विराजै ॥
कालीसिल पै दानव मारे ।
राजा नल के कारज सारे ॥
शुम्भ निशुम्भ नसावनि हारी ।
महिषासुर को मारनवारी ॥
रक्तबीज रण बीच पछारो ।
शंखासुर तैने संहारो ॥20॥
ऊँचे नीचे पर्वत वारी ।
करती माता सिंह सवारी ॥
ध्वजा तेरी ऊपर फहरावे ।
तीन लोक में यश फैलावे ॥
अष्ट प्रहर माँ नौबत बाजै ।
चाँदी के चौतरा विराजै ॥
लांगुर घटूअन चलै भवन में ।
मात राज तेरौ त्रिभुवन में ॥24॥
घनन घनन घन घंटा बाजत ।
ब्रह्मा विष्णु देव सब ध्यावत ॥
अगनित दीप जले मंदिर में ।
ज्योति जले तेरी घर-घर में ॥
चौसठ जोगिन आंगन नाचत ।
बामन भैरों अस्तुति गावत ॥
देव दनुज गन्धर्व व किन्नर ।
भूत पिशाच नाग नारी नर ॥28॥
सब मिल माता तोय मनावे ।
रात दिन तेरे गुण गावे ॥
जो तेरा बोले जयकारा ।
होय मात उसका निस्तारा ॥
मना मनौती आकर घर सै ।
जात लगा जो तोंकू परसै ॥
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ावे ।
गुंगर लौंग सो ज्योति जलावै ॥32॥
हलुआ पूरी भोग लगावै ।
रोली मेहंदी फूल चढ़ावे ॥
जो लांगुरिया गोद खिलावै ।
धन बल विद्या बुद्धि पावै ॥
जो माँ को जागरण करावै ।
चाँदी को सिर छत्र धरावै ॥
जीवन भर सारे सुख पावै ।
यश गौरव दुनिया में छावै ॥36॥
जो भभूत मस्तक पै लगावे ।
भूत-प्रेत न वाय सतावै ॥
जो कैला चालीसा पढ़ता।
नित्य नियम से इसे सुमरता ॥
मन वांछित वह फल को पाता ।
दुःख दारिद्र नष्ट हो जाता ॥
गोविन्द शिशु है शरण तुम्हारी ।
रक्षा कर कैला महतारी ॥40॥
॥ दोहा ॥
संवत तत्व गुण नभ भुज सुन्दर रविवार ।
पौष सुदी दौज शुभ पूर्ण भयो यह कार ॥
॥ इति कैला देवी चालीसा समाप्त ॥
॥ doha ॥
jay jay kaila maata he
hari namau maath ॥
sharan mein charan mein
jodoon donon haath ॥
aap jaaniye
main maata anjaan ॥
kshama karen meree karo
karoon tera gunagaan ॥
॥ chaupaee ॥
jay jay jay kaala mahaaraanee ॥
namo namo jagadamb bhavaanee ॥
sab jag kee ho bhaagy vidhaata ॥
aadi shakti tu maata maata ॥
donon bahina sabase nyaaree ॥
mahima aparampaar vivaah ॥
sobha sakal sakal gunakhaanee ॥
vaid puraanan manhi bakhaanee ॥4 ॥
jay ho maata karauleevaalee ॥
shat poojan kaaleesil vaalee ॥
bootajee mein jyoti vivaah ॥
hingalaaj mein too mahataaree ॥
too hee naee saamaree vaalee ॥
too chaamunda kankaalee ॥
nagar kot mein too hee viraaje ॥
vindhyaachal mein too hee raajai ॥8 ॥
dhaulaagadh belaun too maata ॥
vaishnavadevee jag mrgama ॥
nav durga too maata bhavaanee ॥
chaamunda kalyaan vidhi ॥
jay jay suye chhole vaalee ॥
jay kaalee kalakatte vaalee ॥
too hee lakshmee too hee bramhaanee ॥
paarvatee too hee indraanee ॥12 ॥
sarasvatee tu vidya daata ॥
too hee hai santoshee maata ॥
annapoorna too jag paalak ॥
maata pita hee ham baalak hain ॥
too raadha too priya ॥
taara maatangading gaayatree ॥
too hee aadi sundaree amba ॥
maata charchika he jagadamba ॥16 ॥
ek haath mein khappar raajai ॥
dooje haath trishool viraajai ॥
kaaleesil pai daanav maare ॥
raaja nal ke karj saare ॥
shumbh nishumbh naasaavani haaree ॥
mahishaasur ko maaravaadee ॥
raktabeej ran beech paharo ॥
shankhaasur taine sanhaaro ॥20 ॥
oonche neeche parvat vaaree ॥
maata sinh raanee ॥
dhvaja oopar phaharaave ॥
teen lok mein yash shobhaayamaan ॥
asht prahar maan naubat baajai ॥
chaandee ke chautara viraajai ॥
langoor ghaatoon chalai bhavan mein ॥
maata raaj terau tribhuvan mein ॥24 ॥
ghanan ghanan ghan ghanta bajat ॥
brahma vishnu dev sab dhyaavat ॥
agnit deep jale mandir mein ॥
jyoti jale teree ghar-ghar mein ॥
chausath jogin bele naachat ॥
baaman bhairon astuti gaavat ॥
dev danuj gandharv va kinnar ॥
bhoot pishaach naag naaree nar ॥28 ॥
sab mil maata toy manaave ॥
raat din tera gun gaave ॥
jo tera bole jayakaara ॥
hoy maata usaka nistaara ॥
man manautee gyaan ghar sai ॥
jaat laga jo tonkoo parasaee ॥
dhvaja koskonet ankitave ॥
gungar laung so jyoti jalaavai ॥32 ॥
halua poorn bhog lagaavai ॥
rolee laang phool chadhaave ॥
jo laanguriya god khilaavai ॥
dhan bal vidya buddhi paavai ॥
jo maan ko jagaav karaavai ॥
chaandee ko sir chhatr dharaavai ॥
jeevan bhar saara sukh paavai ॥
yash gaurav sansaar mein chhaavai ॥36 ॥
jo bahut mastak pai lagaave ॥
bhoot-pret na vai sataavai ॥
jo kaila chaaleesa restaraan ॥
nity niyam se ise sumarata ॥
man puraalekh vah phal ko paata hai ॥
duhkh daaridr nasht ho jaata hai ॥
shishu mandir hai govind sharanasthaan ॥
raksha kar kaila mahataaree ॥40 ॥
॥ doha ॥
sanvat tatv gun nabh bhuj sundar ravivaar ॥
paush sudee dauj shubh poorn bhayo yah kaar ॥
॥ iti kaila devee chaaleesa samaapt ॥
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