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माता महालक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए स्वर्ग के राजा इंद्र ने माता लक्ष्मी की भक्तिपूर्वक ये प्रार्थनाएं कीं।
इसमें माता लक्ष्मी को सर्व ज्ञाता , सभी पर कृपा करने वाली और दुस्टो को भयंकर कष्ट देने वाली बताया गया है |
रोज एक बार इसका पाठ करने से बड़े से बड़ा पाप भी मिट जाते है, दिन में रोज दो बार सुबह-शाम पाठ करने से उसका घर धन- धान्य से संपन्न हो जायेगा | दिन में रोज तीन बार पाठ करने से उसके सभी शत्रुओं के नाश हो जाता है |
महालक्ष्मी माता की जय |
महा लक्ष्म्यष्टकम्
इंद्र उवाच –
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।
शंखचक्र गदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ 1 ॥
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुर भयंकरि ।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ 2 ॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्व दुष्ट भयंकरि ।
सर्वदुःख हरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ 3 ॥
सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि ।
मंत्र मूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ 4 ॥
आद्यंत रहिते देवि आदिशक्ति महेश्वरि ।
योगज्ञे योग संभूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ 5 ॥
स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ति महोदरे ।
महा पाप हरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ 6 ॥
पद्मासन स्थिते देवि परब्रह्म स्वरूपिणि ।
परमेशि जगन्मातः महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ 7 ॥
श्वेतांबरधरे देवि नानालंकार भूषिते ।
जगस्थिते जगन्मातः महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ 8 ॥
महालक्ष्मष्टकं स्तोत्रं यः पठेद् भक्तिमान् नरः ।
सर्व सिद्धि मवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥ 9 ॥
एककाले पठेन्नित्यं महापाप विनाशनम् ।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धन धान्य समन्वितः ॥ 10 ॥
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रु विनाशनम् ।
महालक्ष्मी र्भवेन्-नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥ 11 ॥
॥ इतिंद्रकृत श्रीमहालक्ष्म्यष्टकस्तवः संपूर्णः ॥